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गाथा १५४
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मरण
बंधन इस लोक में बंधन और मरण के भय आदि का द
ख नहीं है।
दुखों में दुःख का निधान तो
जीओ
और जीने दो -
अहिंसा परमो धर्मः
जिनप्रभु के वचनों की आसादना अर्थात् विराधना
करना है।
हिंसक चित्त
हिंसक कृत