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ध्यान प्रकरण
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मन परिणामको स्थिर रखनेके लिए आखें वध कर ध्यान करे मनको साफ रखे ममता मायाका त्याग करे, समभाव आलम्पित हो विपयादि विलाससे विराम पाकर शान्ति के साथ ध्यान करे। जिन मनुप्योंको समभाव गुण प्राप्त नही हुवा है उनको ध्यान करते समय कई प्रकारकी विटम्बनाऐं उपस्थित हो जाती है, इस लिए समपरिणामी रहनेका अभ्यास करना चाहिए, क्योकि समपरिणाम विना यान नहीं होता और पिना यानके निष्कम्प समता नही आ सकती इस लिए समता गुणमें रमण करता हुवा व्यान मन रहने का प्रयत्न करना चाहिए। स्थान, शरीर, वस्त्र और उपकरण शुद्धिकी तरफ भी पूरा लक्ष रखना चाहिए, क्योंकि पवित्रतासे चित्र प्रसन्न रहता "है, और साधना सिद्ध होती है। जो मनुष्य हृदयको पवित्र किए विना ध्यान करते हैं उन्हें सिद्धि नही होती। एक राजा महाराजा साहबको मकान पर चुलाए जाय तो घरकी सफाई और सजाई कितने दरजे की जाती है और परिवाकी तरफ कितना लक्ष दिया जाता है जो किसीसे डिपा हुवा नही है, तो वीलोकके-नाथको हृदयमें प्रवेश करते समय