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श्री नवकार महामंत्र कल्प
ध्यान प्रकरण
श्रावकका कर्तव्य है कि प्रातःकालमें चार घडी शेष रात्रि रहे तव निद्रा त्याग कर नवकार मंत्रका जाप करे इस मंत्र का विधान बताते हुवे " व्यवहार भाष्य " सूत्रमे लिखा है कि सोते समय खराव स्वम आया हो रागभावसे या द्वेषभावसे आया हुवा स्वम अनिष्ट फलका सूचक हो तो उसको दूर करनेके लिए विस्तर में से उठते ही १०८ उच्छ्वास प्रमाण काउसग्ग करे, जिनको श्वासोश्वास से काउसरग करनेका अभ्यास नही हो उसको चार लोगस्सका काउसग्ग करना चाहिए और श्वासोश्वास से काउसग्ग करनेका अभ्यास करते रहना, जो मनुष्य विस्तर पर ही या पलंग पर बैठे बैठे ही स्मरण करते हैं उनको चाहिए कि मनमें ही पञ्चपरमेष्टिका व्यान किया करे, वचन उच्चार करके जो जाप करते हैं, उनको चाहिए कि विस्तरका त्याग कर कपडे बदल कर जमीन पर आसन बिछा कर पूर्व ' या उत्तर दिशाकी तरफ मुंह करके नवकार मंत्रका ध्यान करने के लिए बैठे । ध्यान खडे रहकर काउसग्गमुद्रासे या बैठे बैठे किसी भी तरहसे करें लेकिन