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________________ प्रणयाक्षर ध्यान सा। साकार काण्ठपितरमे स्थित कर व्याये तो यह जाप सर्व कल्याणके करने वाला है। अतः उपर वताए अनुसार अ. सि. आ उ. सा. यह पाचों पीजाक्षर है और इन पाचोसाकार बनता है जो मनुप्य इनका ध्यान करते है उनको यह मत्र महान् कल्याणके करनेवाला होगा इसी लिए कहा है कि अपार बिन्दु सयुक्त, नित्य ध्यायन्ति योगिन ॥ फामद मोक्षद चेच, अकाराय नमो नम ॥ यह मन धर्म अर्थ काम और मोक्षके देने वाला है इसकी महिमा पारावार है यहा पर सक्षेप स्वरुप बताया है विशेप जाननेकी इच्छा वाले जिशामुओंको चाहिए किशानीयोकी सेवाकर मात करे। हीकारका ध्यान ध्यायेरिसता चपत्रातरष्टवर्गी दलाएको । ॐ नमो अरिहन्ताणमिति वर्णानपिनमात् ॥१॥ मुखके अन्दर आठ कमावाले श्वेत कमलका चिन्तवन करे और उसके आठो कमम्मे अनुक्रमसे “ॐ नमो अरिहन्ताण" इन आठ अक्षरोंको म्यापन करे, और इनमें केसरा पक्तिको स्वरमय बनाये और
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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