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________________ S4 श्री नवकार महामंत्र कल्प ॥ सप्ताक्षरी मंत्र ॥ ॐ श्री ही अहं नमः ___ इस मंत्रका जाप बहुत ही कल्याणकारी है सर्व शान प्रकाशक सर्वज्ञ समान यह मंत्र है। || पन्द्राक्षरी मंत्र ॥ ॐ अरिहन्त सिद्ध सयोगी केवली स्वाहा ॥ इस मंत्रका ध्यान परम पदके देनेवाला है नित्य करना चाहिए। ॥ पोडाक्षरी मंत्र । अरिहन्त सिद्ध आयरिय उवझाय साहू ॥ इस मंत्रको पञ्चपरमेष्टि व गुरु पञ्चकभीकहते हैं सोलह अक्षर होनेसे षोडाक्षरीके नामसे भी प्रसिद्ध है इसका जाप दो सौ वार करे तो उपवासका फल पाता है। ॥ पञ्च तत्त्व विद्या मंत्र ॥ अ. सि. आ. उ. सा. हाँ ही हूँ हौ है: इस मंत्रसे संसारके तमाम क्लेश दूर हो जाते हैं, इसको पंचतत्त्व विद्याका जाप कहते हैं।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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