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________________ श्री नवकार महामंत्र कल्प उपरोक्त मंत्रसे राख मंत्रित कर व्रण-जिनको वण भी कहते हैं वालकोंके शरीर पर हो जाते हैं उन पर अथवा शीतलाके वण पर लगावे तो वण सिट जाते हैं। ॥ सूर्यमङ्गलपीडा मंत्र || ॐ नमो सिद्धाणं ।।६३॥ सूरज व मंगलकी दिशा पीडाकारी हो तब उपरोक्त मंत्रका जाप एक हजार रोजाना जहां तक ग्रहपीडा रहे किया करे तो सुख प्राप्त होता है। ॥ चन्द्रशुक्रपीडा मंत्र ॥ ॐ ही नमो अरिहन्ताणं ॥१४॥ चन्द्रमा और शुक्र दोनोंकी दृष्टि पीडाकारी हो तब एक हजार जाप प्रतिदिन करनेसे सुख प्राप्त होता है। ॥ बुधपीडा मंत्र ॥ ॐ ही नमो उवज्झायाणं ॥६६॥ बुधकी दशा हानिकारक हो तब प्रसन्न करनेके ईलए इस मंत्रका जाप एक हजार नित्य करना चाहिए।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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