SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नवकार महामंत्र कल्प ७१ पावप्पणासणो, मङ्गलाण च सचेसि, पहम एवइ मङ्गलम्, ॐ ही हॅ फट् स्वाहा ||२०|| इस मन्त्रका स्मरण हरएक कार्यमें सुखदाई होता | नित्यप्रति इस मत्रका ध्यान खूव करना चाहिए सर्व मकारसे आनन्द मङ्गल करने वाला यह मंत्र है । ॥ द्रव्यप्राप्ति मन ॥ ॐ ही अरिहन्ताण सिद्धाण आयरियाण उवज्झायाण साहण मम ऋद्धि वृद्धि समीहित कुरु कुरु स्वाहा ॥५१॥ इस मत्रको नित्य प्रति मातः काल मध्याह और सायकालको मत्येक समय मे वतीसवार स्मरण-ध्यान करे तो सर्व प्रकारकी सिद्धि होकर धन लाभ होता है और हर तरहसे कल्याण होगा । || ग्रामप्रवेश मन ॥ ॐ नमो अरिहन्ताण नमो भगव महाविज्ञाय सत्ता गिरे गिरे चलु मरवाहिनिए स्वाहा ॥५२॥ चन्टाइ चुलु इस मंत्र का जाप पोसकृष्णा दशमी के दिन उप
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy