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श्री नवकार महामंत्र कल्प ___ यह मंत्र तुष्टि पुष्टि देता है नित्य स्मरण करनेसे सुख मिलता है।
॥ वस्तु विक्रय मंत्र ॥ नहट्ठमयट्ठाणे पण कम्महनसंसारे। परमट्टनिहियट्टे अट्टगुणाधीसरे बंदे ॥४५॥
इस मंत्रकी साधना स्मशानभूमिमें कृष्णपक्षकी चतुर्दशीके दिन करते हैं । सन्ध्याकालके वाद डेढप्रहर रात्रि गये आरम्भ करे। धूप दीप जयणा सहित रक्खे, और कटपत्र तेल गुगल आदिका होम जयणा सहित करे, प्रतिदिन दोहजार जाप कर सिद्धि प्राप्त करे वादमें जिस वस्तुको वेचना हो तब इक्कीस जापसे मंत्रितकर विक्रय करे तो अच्छा मूल्य आवेगा।
॥ सर्व भय रक्षा मंत्र ॥ - ॐ अर्हते उत्पत उत्पत स्वाहा त्रिभुवनस्वामिनी, ॐ थम्भेइ जलजलणादिघोरुषसग्गं मम अमुकस्य अवाय णासेउ स्वाहा ॥४६||
इस मंत्रको लिखने के लिए चन्दन या अष्टगंध आदि सामग्री तैयार करके एक वाजोटपर रखना और धूप दीप जयणा सहित रख कर एक माला