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भी नवकार महामन फल्प
॥ महारक्षा सर्वोपद्रव शाति मत्र ॥ नमो अरिहन्ताण शिखायां। नमो सिद्धाण मुखाचरणे । नमो आयरियाण अङ्गरक्षायां । नमो उवज्झायाण आयुधे । नमो लोग सवसाहण मौर्वी । एसो पञ्चनमुकारो-पादतले वजशिला सयपायपणासणो, चञमयप्राकार चतुदिक्षु मङ्गलाणचसम्वेसि,खादिरागारखातिका, पढम हवइ महल, वप्रोपरि वज्रमयपिधान १७ ___ यह महा रक्षामत्र तमाम तरहके उपद्रवको हटानेवाला है इसका उच्चार करते समय शिखा अर्थात् मस्तक-चोटीकी जगह हाथ लगाना मुखावरण कहते मुख पर हाथ फेरना, अंगरक्षा कहते शरीर पर हाय फेरना इस तरह इसका विधान जो सकली. करण रूप बताया गया है जिसका स्मरण बहुतही लाभदाई होगा हर वरहके विघ्न नाश होंगे।
॥ महामत्र ॥ __ॐ णमो अरिहन्ताण, ॐ हृदय रक्ष रक्ष हूँ फट स्वाहा । ॐणमों सिद्धाण ही शिरो रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा । ॐ णमो आयरियाण हूँ शिखा रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वारा । ॐ णमो उव