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________________ ५२ श्री नवकार महामंत्र कल्प ॥ उपद्रव शांति मंत्र॥ ॐ ह्री क्षी फट् स्वाहा किटि किटि घातय घातय परवितान् छिन्द्धि छिन्द्धि परमंत्रान् भिन्द्धि भिन्द्धि क्षः फट् स्वाहा ॥१५॥ किसी शठ पुरुपकी ओरसे मानव प्रकृति द्वारा या मंत्र प्रयोग द्वारा, भूत प्रेत द्वारा कष्ट आया हो या आनेवाला हो तो उपरोक्त मंत्र सारे कष्टोंको रोक देता है, यह मारण उच्चाटन मुंठ आदिको भी रोक सकता है। । ॥ पञ्चपरमेष्टि मंत्र ॥ ॐ अ. सि. आ. उ. सायनमः ॥१६॥ इस पञ्च परमेष्टिमंत्रका पटनावर्त-मुद्रा से जो. आगे आवर्त प्रकरणमें बताई गई है उस पर ध्यान करे तो मनोवाञ्छित फलकी प्राप्ति होती है। यह महा कल्याणकारी मंत्र है, इसमें अनेक प्रकारकी सिद्धियां समाई हुई है जो मनुष्य कर्मक्षय करनेके लिए इस मंत्रका ध्यान करना चाहते हैं वह शावतसे करेंगे तो उनको अधिक लाभ होगा।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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