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________________ ४२ श्री नवकार महामंत्र - कल्प जोड कर बैठना उसका नाम भद्रासन है । जिस आसनमें बैठनेसे उद्गलियां गुल्फ व जङ्घा भूमिसे स्पर्श करे इस प्रकार पत्रोंको लम्बे कर बैठना उसको दण्डासन कहते हैं । गुदा और एडीके संयोगसे वीरता पूर्वक बैठे उसको उत्कटिकासन कहते हैं । गाय दूहने को बैठते हैं उस तरह बैठ ध्यान करना उसको गौदोहिकासन कहते हैं । खडे खडे दोनों भुजाओंको लम्बी कर घुटनेकी तरफ बढाना या बैठे बैठे कायाकी अपेक्षा नहीं रख कर ध्यान करना उसको कायोत्सर्गासन कहते हैं । इस तरहका आसन धार्मिक क्रियामें करनेकी प्रथा प्रचलित है । ध्यान करनेको खटे रहते हैं उस समय हाथोंको दाहिनी बांयी ओर ज्यादे फैलाना नहि चाहिए, सीधे हाथ रख कर खडे रहते समय पावोंकी उगलियोंके बीचमें चार अङ्गुल अन्तर रखना व एडीयोंके बीच में चार अङ्गुलसे कुछ कम अन्तर रख कर खडे रहना चाहिए। इस तरहसे खढे रहने से जिनमुद्रा बन जाती है और ध्यान करने में यह बहुतही उपयोगी है, अतः अनुकुलता व निजके सघयन-शक्ति देखकर आसन सिद्ध करलेना चाहिए ।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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