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पढस्य ध्येय स्वरुप करे, और वाहरके भागमें । ॐ पूर्व नमो जिणाणं वेष्टित करलेवे और फिर ध्यानकी लय लगाचे तो आनन्द मगल होता है। ____ उपरोक्त अष्टाक्षरी मनके लिए ऐसा भी वयान आता है कि आठ पनवाले कमलके अन्दर तेजोमय आत्माका ध्यान करना, और ॐकारपूर्वक आधमनके वर्ण अनुक्रमसे पत्रमें स्थापित करना, पहला पर पूर्व दिशाकी तरफका समझना और इसी तरह आगे पत्रोंमें दिशा विदिशामी तरफ आठ वर्ण स्यापित कर ग्यारहसौ चार इस अष्टाक्षरी मत्रका व्यान करे, और जिस कार्यके लिए प्रयत्न हो उसका सकल्प कर आठ दिन तक जाप करे, वादमें आठ रात्रि व्यतीत होनेके वाद जाप करते करते कमलके अन्दर आठ पत्रोमें आट वर्ण अनुक्रमसे दृष्टिगत होंगे। और इनको देखे पाद ऐसी सिद्धि प्राप्त हो जाती है कि भयङ्कर सिंह, हाथी, सर्प, राक्षस, व्यन्तर आदिभी क्षणवारमें शान्त हो जाते है और किसी प्रकारकी पीडा नही करते पल्के पासमें वैट जाते है, और आसपास फिरने लगते हैं।