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FORMATION OF KARMIC MOLECULE / BONDAGE भेदसंघातेभ्य उत्पद्यन्ते | (26) भेद से, संधात से तथा भेद और संधात दोनों से स्कन्ध उत्पन्न होते हैं।
Transformation
of Infinite Unanimous bond of Karma and WORLD: Karmic matter
soul Completely filled into Karma
कर्म का और अंसख्यात आत्मप्रदेशों का with Karmic
एक क्षेत्रावगाह संम्बंध matters कार्माण-वर्गणा :- पुद्गल
1 ज्ञानवरण कर्म द्रव्य की वह जाति जिसमें
2 दर्शनावरण कर्म कर्मरुप परिणमन करने की
3 मोहनीय कर्म योग्यता है ।
4 वेदनीय कर्म
5 आयु कर्म
प्रकृति बंध Unnatural manifestation of
प्रदेश बंध
6 नाम कर्म soul in terms of wrong belief, passions etc.
स्थिति बंध 7 गोत्र कर्म अनुभाग बंध
| 8 अन्तराय कर्म