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गाथा ६,१०
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जो ज्ञानी अमूढ़दृष्टि होकर
सम्यक्त्वाचरण चारित्र से शुद्ध हैं
वे यदि संयमाचरण चारित्र से भी
सम्यक् प्रकार शुद्ध होते हैं तो
शीघ्र ही निर्वाण को पाते हैं।
॥
जो पुरुष
सम्यक्त्वाचरण चारित्र
से भ्रष्ट हैं
और
संयम का आचरण करते हैं
।
वे अज्ञान और ज्ञान के विषय में
मूढ़ होने के कारण
निर्वाण को नहीं पाते हैं।
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