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गाथा २७
MAHAR
YANA
मुनि वैसे ही ग्रहण करने योग्य आहारादि
में से थोड़ा आहार ग्रहण करते हैं
और,
जैसे समुद्र के
जल से अपना वस्त्र धोने के लिए कोई थोड़ा जल ग्रहण करता है
जिन मुनियों की इच्छा निवृत्त हो गई है उनके सब दुःख निवृत्त हो गए हैं।
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