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गाथा १–'अरहंत भासियत्थं..... अर्थ-जिसका अर्थ अरहंत देव के द्वारा भाषित है, गणधर देवों ने जिसे सम्यक् प्रकार से गूंथा है और सूत्र के अर्थ को ढूंढने का ही जिसमें प्रयोजन है-ऐसे सूत्र के द्वारा श्रमण परमार्थ अर्थात् मोक्ष को साधते हैं।।१।। गा०२-'सुत्तम्मि जं सुदिटुं.... अर्थ-सर्वज्ञभाषित सूत्र में जो भली प्रकार कहा गया है उस शब्द और अर्थ रूप दो प्रकार के सूत्र को आचार्यों की परम्परा रूप मार्ग से जानकर जो मोक्षमार्ग में प्रवर्तता है वह भव्य जीव है।।२।।
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