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________________ योगसार प्रवचन (भाग-१) ७५ हो सकता है ? ऐसा कहते हैं। समझ में आया? आहा...हा...! परभाव में मोहित रे आत्मा... भूला रे भगवान को अन्दर में.... स्वयं भगवान को भूला है। सच्चिदानन्द चिदानन्द ज्ञाता -दृष्टा आनन्द का कन्द प्रभु, कहते हैं कि वह आत्मा क्या विभावरूप होता है ? वह आत्मा क्या शरीररूप होता है? वह आत्मा वाणी में आये या (वाणीरूप) होता है? आवे तो होवे न! और विभाव के विकल्प में आत्मा आवे कि आत्मा विभावरूप हो? आता है उसमें? शुभभाव – दया, दान के विकल्प में वह आत्मा आता है ? आत्मा आवे तो आत्मा उसरूप हो जाये। आत्मा उसमें आता ही नहीं, वे तो बाह्य चीज हैं। विभाव, वह स्वभाव नहीं होता; स्वभाव, वह विभाव नहीं होता। यहाँ तो दोनों ऐसी अरस-परस बात ली है न, समझ में आया? ते अप्पाणु ण होहि जो शरीरादि कहे, उदयभाव कहा वह.... यह पंचाचार – ज्ञान, दर्शन, चारित्र, वीर्य, तपाचार.... ऐसे जो आठ के विकल्प, आठ (गुणे) पाँच, चालीस... जिसे यह आठ होवें वह, समकित के आठ आचार आते हैं न? नि:शंक और नि:कांक्षित और व्यवहार के, हाँ! और ज्ञानाचार के (विकल्प) – काल में पढ़ना और विनय से पढ़ना और.... आहा...हा...! दूसरे तो कहते हैं कि शास्त्र की स्वाध्याय, करे तो (निर्जरा होती है) - ऐसा कल आया था। अरे... ! सुन न, भगवान ! तुझे पता नहीं है... बापू! बापू!! यह तो विकल्प उत्पन्न होता है, भाई! तब उसका पर के प्रति लक्ष्य है। उस विकल्परूप प्रभु होता है ? और विकल्प इसरूप होता है ? यह विकल्प का रूप, स्वरूप धारण करता है? और यह स्वरूप, विकल्परूप आ जाता है ? आहा...हा...! कहो, इसमें समझ में आया या नहीं? ए... मलूकचन्दभाई ! क्या करना परन्तु अब इसमें? होश उड़ जाएगा। मन्दिर बनाना है और उत्साह उड़ जाएगा। हम कर सकते हैं – ऐसा माने तो उत्साह रहे ! कहो, वासुदेवभाई! क्या करना अब इसमें? आहा...हा... ! अरे प्रभु! तू कहाँ है ? देख तो सही। तू जहाँ है, वहाँ विकार नहीं और विकार जहाँ है, वहाँ तू नहीं। भाई! न्याय से तो समझना पड़ेगा। विकार, जो पुण्य-पाप के विकल्पों का विकार, विभाव दशा (होती है), वहाँ भगवान चिदानन्द का स्वभाव उसमें नहीं है और वह विभाव, स्वभावरूप तीन काल में
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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