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प्रकाशकीय
( पाँचवाँ संस्करण )
डॉ. भारिल्ल की नवीनतम कृति “शाश्वत तीर्थधाम सम्मेदशिखर" का अल्पकाल में ही पाँचवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस कृति का प्रथम संस्करण अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्त्वावधान में श्रीमान् भभूतमलजी भण्डारी, बैंगलोर द्वारा आयोजित सम्मेदशिखर आदि सिद्ध क्षेत्रों की मंगल यात्रा एवं सम्मेदशिखर में आयोजित आध्यात्मिक शिक्षण शिविर एवं सिद्धचक्र विधान महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित किया गया था । कुछ समय के पश्चात् ही इसका द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ संस्करण प्रकाशित करना पड़ा था, जो इस कृति की उपयोगिता का द्योतक है।
यह कोई सहज संयोग नहीं, अपितु उक्त प्रसंग से प्रेरणा पाकर ही इस कृति की रचना हुई थी । शाश्वत मूल्यों का प्रतिपादक होने से डॉ. भारिल्ल का सम्पूर्ण साहित्य यद्यपि स्थाई महत्त्व का ही साहित्य है और सर्वाधिक पढा भी जाता है; तथापि अवसर के अनुकूल समयानुसार प्रकाशित होने से उसका महत्त्व और भी बढ जाता है ।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, तीर्थंकर भगवान महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, आचार्य कुन्दकुन्द और उनके पंचपरमागम व शाकाहार आपकी ऐसी कृतियाँ हैं, जो तत्संबंधित महत्त्वपूर्ण अवसरों पर प्रकाशित होने से सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हुई हैं और अवसर की अनुकूलता के कारण उनका प्रचार-प्रसार भी खूब हुआ है।
सम्मेदशिखरजी में सम्पन्न होनेवाले शिक्षण-शिविरों और मंगल - यात्राओं के अनेक अवसरों पर डॉ. भारिल्ल से सम्मेदशिखर की महिमा मुमुक्षु समाज को अनेक बार सुनने को मिली है। जब-जब उनके ये प्रवचन सुने गये, तब-तब अनेक श्रोताओं से उन्हें लिपिबद्ध करने का अनुरोध मिलता रहा है; जिसे दृष्टिगत