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प्रकाशकीय (चतुर्थ संस्करण)
डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल द्वारा रचित समयसार पद्यानुवाद का यह चतुर्थ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
सर्वप्रथम इसका प्रकाशन आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी समारोह के अवसर पर किया गया था । अबतक इसकी २० हजार २०० प्रतियों का समाप्त हो जाना कृति की महत्ता को दर्शाता है। यह इसका चतुर्थ संस्करण है जो २ हजार की संख्या में प्रकाशित किया जा रहा है।
इस कृति की सफलता को देखते हुए इसका संगीतमय कैसिट भी तैयार कराया गया है, जिसका समाज ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। आज इसकी गूँज मुमुक्षु समाज के प्रायः हर घर में हो रही है।