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समयसार अनुशीलन (कर्ताकर्माधिकार एवं पुण्यपापाधिकार) भाग २ का उत्तरार्द्ध : गाथा ११६ से १६३ तक
लेखन एवं गाथा व कलशों का पद्यानुवाद
डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल
शास्त्री, न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न, एम. ए., पीएच. डी. श्री टोडरमल स्मारक भवन, ए-४, बापूनगर, जयपुर-३०२०१५
प्रकाशक
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