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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
L"तुम पुष्पदंत जितकामी, है नाम सुविधि अभिरामी।। वन्दूँ तेरे जुग चरणा, जासे हो शिवतिय वरणा ।।९।।
ॐ ह्रीं श्री पुष्पदन्तजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५०।। श्री शीतलनाथ अकामी, शिवलक्ष्मीवर अभिरामी। शीतल कर भव आतापा, पूर्णां हर मम संतापा ।।१०।।
ॐ ह्रीं श्री शीतलनाथजिनाय अयं निर्वपामीति स्वाहा ।।५१।। श्रेयांस जिना जुग चरणा, चित धारूँ मङ्गल करणा। परिवर्तन पञ्च विनाशे, पूजनतें ज्ञान प्रकाशे ।।११।।
ॐ ह्रीं श्री श्रेयांसनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५२।। इक्ष्वाकु सुवंश सुहाया, वसुपूज्य तनय प्रगटाया। इंद्रादिक सेवा कीनी, हम पूजें जिनगुण चीन्ही ।।१२।। ____ॐ ह्रीं श्री वासुपूज्यजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५३।। कापिल्य पिता कृतवर्मा, माता श्यामा शुचिवर्मा । श्री विमल परम सुखकारी, पूजा द्वै मल हरतारी ।।१३।।
ॐ ह्रीं श्री विमलनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५४।। साकेता नगरी भारी, हरिसेन पिता अविकारी। सुर-असुर सदा जिनचरणा, पूजें भवसागर तरणा।।१४।। ____ॐ ह्रीं श्री अनन्तनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५५।। समवसृत द्वैविध धर्मा, उपदेशो श्री जिनधर्मा । हितकारी तत्त्व बताए, जासे जन शिवमग पाये ।।१५।।
ॐ ह्रीं श्री धर्मनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५६।। कुरुवंशी श्री विश्वसेना, ऐरादेवी सुख देना। श्री हस्तिनागपुर आये, जिन शांति जजों सुख पाए ।।१६।।
ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५७।। श्री कुन्थु दयामय ज्ञानी, रक्षक षटकायी प्राणी। सुमरत आकुलता भाजे, पूजत ले दर्व सु ताजे ।।१७।। । ॐ ह्रीं श्री कुन्थुनाथजिनाय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।५८॥ 11