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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
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शुभकल्पद्रुमन सुमना ले, जग वशकर काम नशा ले। ।।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।। ॐ ह्रीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
पकवान मनोहर लाए, जासे क्षुत् रोग शमाए।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।। ॐ हीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
मणि रत्नमयी शुभ दीपा, तम मोह हरण उद्दीपा।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।। ॐ ह्रीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो मोहान्धकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
शुभ गंधित धूप चढ़ाऊँ, कर्मों के वंश जलाऊँ।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।। ॐ ह्रीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
सुन्दर दिवि फल ले आए, शिव हेतु सुचरण चढाये।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।। ॐ ह्रीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
सुवरण के पात्र धराए, शुचि आठों द्रव्य मिलाए।
गुरु पञ्च परम सुखदाई, हम पूजें ध्यान लगाई।।
ॐ ह्रीं श्री अस्मिन् प्रतिष्ठामहोत्सवे सर्वयज्ञेश्वरजिनमुनिभ्यो अनर्घ्यपदप्राप्तये ।। अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।