SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाँचवाँ दिन जन्मकल्याणक ___ आज जन्मकल्याणक का दिन है। पंचकल्याणक महोत्सव का पाँचवाँ दिन और पंचकल्याणक का दूसरा दिन। आज आपने ऋषभदेव के जन्मोत्सव का महान उत्सव देखा है और पाण्डुक शिला पर उनका जन्माभिषेक भी देखा है, किया है। सभी मार्मिक दृश्यों को देखने के साथ-साथ प्रतिष्ठाचार्यजी से बहुत कुछ सुना है, समझा भी है। ___ इस अवसर्पिणीकाल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की आयु ८४ लाख पूर्व की थी, जिसे पांच कल्याणकों के रूप में पाँच दिन में विभाजित कर प्रस्तुत किया जाता है। गर्भकल्याणक का दिन तो लगभग ९ माह का ही था, पर यह जन्मकल्याणक का दिन ८३ लाख पूर्व का है। जन्मकल्याणक का अर्थ मात्र जन्म दिन से ही नहीं है; अपितु जन्मकल्याणक के दिन ही वे सभी चीजें प्रस्तुत की जाती हैं, जो दीक्षा लेने के पूर्व तक घटित होती हैं। जैसे पालना झूलन, युवराज पद की प्राप्ति, राज्याभिषेक आदि। ऋषभदेव २० लाख पूर्व तक तो कुमार अवस्था में रहे और उसके बाद ६३ लाख पूर्व तक राज किया। इसी बीच शादी-विवाह, पुत्रोत्पत्ति आदि सभी प्रसंग बने। आज के दिन ही उन सभी मार्मिक प्रसंगों की चर्चा करनी है, जिनसे हमें कुछ सीखने-समझने को मिलता है। आज का यह एक दिन ८३ लाख पूर्व को अपने में समेटे हुए है। जब राजकुमार ऋषभदेव युवावस्था को प्राप्त हुए तो उनके माता-पिता को उनके विवाह करने का विकल्प आया। वे सोचने लगे कि ऋषभ तो एकदम आध्यात्मिक प्रकृति के युवक हैं, रागरंग में उनका मन लगता ही नहीं है, वे तो निरन्तर आत्मचिन्तन में ही रत रहते हैं। उन्हें विवाह करने के लिए राजी करना आसान बात नहीं है। लगता तो ऐसा है कि वे शादी करेंगे ही नहीं। फिर
SR No.009467
Book TitlePanchkalyanak Pratishtha Mahotsava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy