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णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन णमोकार महामंत्र जैनसमाज का सर्वाधिक श्रद्धेय एवं सर्वमान्य महामंत्र है। जैनियों के सभी सम्प्रदाय इसे मानते हैं और सभी लोग प्रतिदिन इसका जाप करते हैं। ___ जैनियों में तीन चीजें ऐसी हैं जो जैनियों के सभी सम्प्रदायों को समानरूप स्वीकार हैं। उनमें सर्वप्रथम स्थान तो णमोकार महामंत्र को ही प्राप्त है, दूसरे स्थान परभक्तामर स्तोत्र है और तीसरे स्थान पर महाशास्त्र तत्त्वार्थसूत्र आता है, जिसे मोक्षशास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। ___ यहाँ हमारे विचार का मूल बिन्दु मुख्यरूप से णमोकार महामंत्र ही है। इसे अनादिनिधन महामंत्र भी कहा जाता है; क्योंकि इसमें जिन्हें नमस्कार किया गया है; वे पंच परमेष्ठी अनादि से होते आये हैं और अनन्तकाल तक होते रहेंगे तथा उन्हें नमस्कार करनेवाले भी अनादि से हैं और अनन्तकाल तक रहेंगे भी। भले ही इस महामंत्र को इस रूप में किसी ने भी प्रस्तुत किया हो; किन्तु भाव की दृष्टि से तो यह अनादि-अनन्त ही है।
यहाँ एक प्रश्न संभव है कि णमोकार महामंत्र में ऐसी क्या विशेषता है कि जिसके कारण प्रत्येक जैनी प्रतिदिन प्रात:काल इसे एक सौ आठ बार नहीं तो कम से कम नौ बार तो बोलता ही है।
सम्पूर्ण जैनसमाज में समान रूप से मान्य यह महामंत्र प्रत्येक जैनी को संकटकाल में तो याद आता ही है, प्रत्येक शुभकार्य के आरम्भ में भी इसका स्मरण किया जाता है। प्रत्येक पालक अपने बालकों को दो-तीन वर्ष की अवस्था में ही इस महामंत्र को सिखा देता है। इसप्रकार यह जैन समाज के बच्चे-बच्चे को याद है।