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________________ आप मेरे चित्त को क्यों उद्वेलित कर रहे हैं। मैंने तो कभी कोई रुपये बैंक में जमा कराये ही नहीं। अत: मेरे रुपये बैंक में जमा कैसे हो सकते हैं?" अत्यन्त गद्गद् होते हुए वे कहने लगे "भाई तुम्हें पैसे जमा कराने की क्या आवश्यकता थी? तुम्हारे पिताजी स्वयं बीस वर्ष पहले तुम्हारे नाम एक करोड़ रुपये बैंक में जमा करा गये हैं, जो अब ब्याज सहित दश करोड़ से भी अधिक हो गये होंगे। मरते समय यह बात वे मुझे बता गये थे।" ___ यह बात सुनकर वह एकदम उत्तेजित हो गया। थोड़ासा विश्वास उत्पन्न होते ही उसमें करोड़पतियों के लक्षण उभरने लगे। वह एकदम गर्म होते हुए बोला "यदि यह बात सत्य है तो आपने अभीतक हमें क्यों नहीं बताया?" - वे समझाते हुए कहने लगे - "उत्तेजित क्यों होते हो? अब तो बता दिया। पीछे की जाने दो, अब आगे की सोचो।" "पीछे की क्यों जाने दो? हमारे करोड़ों रुपये बैंक में पड़े रहे और हम दो रोटियों के लिये मुँहताज हो गये। हम रिक्शा चलाते रहे और आप देखते रहे। यह कोई साधारण बात नहीं है, जो ऐसे ही छोड़ दी जावे; आपको इसका | मैं स्वयं भगवान हूँ १५
SR No.009457
Book TitleMain Swayam Bhagawan Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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