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डॉ. भारिल्ल द्वारा प्रतिपादित एकता के पाँच सूत्र
1. भूतकाल को भूल जाओ ।
2. भविष्य के लिये कोई शर्त मत रखो।
3. वर्तमान में जो जहाँ है, वहीं रहकर अपना कार्य करें।
4. जिन पाँच प्रतिशत बातों के संबंध में असहमति हैं. उन्हें अचर्चित रहने दें और आलोचना प्रत्यालोचना से दूर रहें।
5. जिन बातों में पूर्ण सहमति है, उनका मिलजुलकर या अलग-अलग रहकर, जैसे भी सम्भव हो, डटकर प्रचार-प्रसार करें।