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सफलता विवेक के धनी कर्मठ बुद्धिमानों के चरण चूमती है।
- आप कुछ भी कहो, पृ. २३ x x x x x शब्दों की भाषा से मौन की भाषा किसी भी रूप में कमजोर नहीं होती, बस उसे समझने वाले चाहिए।
- आप कुछ भी कहो, पृ. १७
चेहरे की भाषा पढ़ना हर कोई थोड़े ही जानता है, उसके लिए तीक्ष्ण प्रज्ञा अपेक्षित है।
- आप कुछ भी कहो, पृ. ३८
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