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२०. श्री मुनिसुव्रत वन्दना
मुनिमनहरण श्री मुनीसुव्रत चतुष्पद परित्याग कर । निजपद विहारी हो गये तुम अपद पद परिहार कर ॥ पाया परमपद आपने निज आतमा पहिचान कर | निज आतमा को जानकर निज आतमा का ध्यान धर ॥ २१. श्री नमिनाथ वन्दना निजपद विहारी धरमधारी धरममय निज आतमा को साध पाया परमपद परमातमा ॥ हे यान त्यागी नमी तेरी
धरमातमा ।
शरण में मम
आतमा ।
तूने बताया जगत को सब आतमा
परमातमा ॥
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