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जिनधर्म-विवेचन
उत्तर - जो गुण, सर्व द्रव्यों में न रहकर, अपने-अपने द्रव्य में रहते हैं; उनको विशेषगुण कहते हैं।
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१३२. प्रश्न सामान्यगुण कितने हैं?
उत्तर - सामान्यगुण अनन्त हैं, उनमें मुख्य छह हैं - १. अस्तित्व २. वस्तुत्व ३. द्रव्यत्व ४. प्रमेयत्व ५. अगुरुलघुत्व और ६ प्रदेशत्व । १३३. प्रश्न - द्रव्य में सामान्यगुण नहीं मानेंगे तो क्या हानि होगी ? उत्तर - द्रव्य में सामान्यगुण नहीं मानेंगे तो द्रव्य की सिद्धि ही नहीं होगी अर्थात् द्रव्य के अभाव का प्रसंग आएगा ।
१३४. प्रश्न - द्रव्य में विशेषगुण नहीं मानेंगे तो क्या हानि होगी ? उत्तर - द्रव्य में विशेषगुण नहीं मानेंगे तो एक द्रव्य से दूसरा द्रव्य भिन्न सिद्ध नहीं होगा, सर्व द्रव्य एक हो जाएँगे; क्योंकि विशेषगुण भेद-विज्ञान के साधक हैं।
१३५. प्रश्न – सामान्य व विशेष गुण में किस अपेक्षा से अन्तर है ? उत्तर - सामान्य व विशेष गुणों में निम्न चार प्रकार से अन्तर है - १. सामान्यगुण, नियम से जीवादि सर्व द्रव्यों में रहते हैं। जबकि विशेषगुण, मात्र अपनी-अपनी जाति के द्रव्यों में ही रहते हैं।
२. सामान्यगुण से प्रत्येक द्रव्य की सिद्धि होती है। जबकि विशेषगुण से द्रव्यों में जातिभेद सिद्ध होता है।
३. यदि सामान्य गुण न हों तो जीवादि कोई द्रव्य ही न रहे। जबकि यदि विशेषगुण न हों तो सर्व द्रव्य मिलकर एकमेक हो जाएँ।
४. सामान्यगुण, द्रव्य - सामान्य के लक्षण होते हैं। जबकि विशेषगुण, पृथक्-पृथक् द्रव्यों के लक्षण बनते हैं। जैसे - द्रव्य का लक्षण तो अस्तित्व है; जबकि जीवद्रव्य का लक्षण ज्ञान दर्शन है।
१३६. प्रश्न सामान्य व विशेष गुणों में कौन अधिक हैं? उत्तर – दोनों अनन्त-अनन्त हैं, कोई अधिक नहीं, कोई कम नहीं। १३७. प्रश्न - सामान्य व विशेष गुणों में संज्ञा संख्या आदि आठ अपेक्षाओं से भेदाभेद दर्शाइए ।
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गुण- विवेचन
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उत्तर – संज्ञा, संख्या आदि अपेक्षाओं से सामान्य और विशेष गुणों में भेदाभेद निम्नप्रकार हैं
१. 'संज्ञा' की अपेक्षा दोनों में भेद है; क्योंकि दोनों के नाम भिन्न-भिन्न हैं। एक का नाम सामान्यगुण है और दूसरे का नाम विशेष गुण हैं।
२. 'संख्या' की अपेक्षा दोनों में अभेद है; क्योंकि दोनों की संख्या अनन्त अनन्त है।
३. 'लक्षण' की अपेक्षा दोनों में भेद है; क्योंकि दोनों के लक्षण भिन्नभिन्न हैं।
४. 'प्रयोजन' की अपेक्षा दोनों में भेद है; क्योंकि सामान्यगुण से द्रव्यसामान्य की सिद्धि होती है और विशेषगुण से द्रव्यविशेष की सिद्धि होती है।
५. 'द्रव्य' की अपेक्षा दोनों में अभेद है; क्योंकि दोनों के आश्रयभूत द्रव्य एक हैं।
६. 'क्षेत्र' की अपेक्षा दोनों में अभेद है; क्योंकि दोनों ही अपने-अपने द्रव्य के सर्व भाग (प्रदेश) में रहते हैं ।
७. 'काल' की अपेक्षा दोनों में अभेद हैं; क्योंकि दोनों गुण, द्रव्य की सर्व अवस्थाओं में रहते हैं अर्थात् त्रिकाली हैं।
८. 'भाव' की अपेक्षा दोनों में भेद है; क्योंकि दोनों के लक्षण भिन्नभिन्न हैं ।
१३८. प्रश्न – छह सामान्य गुणों के क्रम का सार्थक्य दर्शाइए? उत्तर - अस्तित्वादि छह सामान्य गुणों के क्रम की सार्थकता निम्न प्रकार है -
१. अस्तित्वगुण - किसी पदार्थ का अस्तित्व होने पर ही अन्यअन्य बातों की चर्चा प्रयोजनीय है, इसलिए 'अस्तित्वगुण' सबसे पहले हैं।
२. वस्तुत्वगुण - जो कोई वस्तु है, उसका कोई न कोई प्रयोजनभूत कार्य अवश्य होता है, अन्यथा वह वस्तु ही नहीं हो सकती है; इसलिए दूसरे स्थान पर 'वस्तुत्वगुण' है।