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भगवान महावीर और उनकी अहिंसा
"ऐसा कोजिये, आप रिपोर्ट लिखा दीजिये ।"
इस पर मैंने कहा :- "इससे क्या होगा ?" तब बड़े ही इत्मीनान से सिगरेट पीते हुए बोले :
"आप चिन्ता न कीजिये । जब प्रापकी हत्या हो जावेगी, तब उन्हें शीघ्रातिशीघ्र गिरफ्तार कर लिया जावेगा ।"
मैंने घबड़ाते हुए कहा :- " अच्छा इन्तजाम है, मरने के बाद होगा, पहले कुछ नहीं हो सकता ।"
मायूस से होते हुए वे कहने लगे :
"भाई ! हम क्या करें ? आप ही बताइये कि ऐसा कौन-सा कानून है, जिसके तहत हम अपराध हुये बिना ही किसी को गिरफ्तार कर लें, सदा के लिए जेल में डाल दें ? अधिक से अधिक यह हो सकता है कि हम गंभीर शिकायत पर उनके जमानत मुचलके करा लें । इससे अधिक कुछ नहीं हो सकता । आपकी शिकायत पर न तो उन्हें हम गिरफ्तार करके सदा के लिए जेल में ही डाल सकते हैं और न आपके साथ पुलिस वाले ही लगा सकते हैं । "
में
जब मैंने उक्त स्थिति पर गम्भीरता से निष्कर्ष पर पहुँचा कि कानून तो ठीक ही है; से इतने हत्यारे हो गये हैं कि जिसने जीवन न की होगी, वह भी दिन में वाणी से दस-बीस वार दस-बीस की हत्या तो कर ही डालता है । बात-बात में हम वारणी की हत्या पर उतर आते हैं। रेल में बैठे हों, मोटर में बैठे हों; पास बैठे ग्रादमी से कहेंगे :“नाई ! जरा उधर सरकना; मैं भी बैठ जाऊँ ।"
विचार किया तो इस
क्योंकि हम लोग वारणी एक भी जीव की हत्या
इस पर वह अकड़ जायगा । फिर क्या है, आप भी कब पीछे रहनेवाले हैं ? जोर-जोर से कहने लगते हैं
'——
"क्या तूने ही टिकट लिया है, हमने टिकट नहीं लिया क्या ? चल हट, नहीं अभी ही खुदा का प्यारा हो जायगा ।"
बात-बात में हर किसी को भगवान के पास भेजने की सोचने लगते हैं, कहने लगते हैं । अब आप ही अपनी छाती पर हाथ रखकर बताइये कि यदि वारणी की हिंसा पर पुलिस कार्यवाही होने लगे तो हम और ग्राप में से कौन जेल के बाहर रहेगा ? चिन्ता करने की बात नहीं है, क्योंकि जेलों में इतनी जगह ही नहीं है कि जहाँ वारणी के हत्यारों को रखा जाय ।