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२हजार
प्रथम संस्करण (५ सितम्बर २०१२)
मूल्य : छह रुपये
अनुक्रमणिका श्री प्रकाशकीय श्री तारणस्वामीजी का संक्षिप्त परिचय संपादकीय मनोगत गुणस्थान भूमिका मिथ्यात्व सासादन सम्यग्मिथ्यात्व अविरतसम्यक्त्व देशविरत प्रमत्तविरत अप्रमत्तविरत अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सूक्ष्मसाम्पराय उपशान्तमोह क्षीणमोह सयोगकेवली अयोग केवली सिद्धभगवान
प्रकाशकीय पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर के माध्यम से आध्यात्मिक संत श्री जिन तारण-तरण स्वामी विरचित न्यानसमुच्चयसार के गुणस्थान विभाग को प्रथक 'चौदह गुणस्थान' नाम से प्रकाशित किया जा रहा है। इस ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद वटीका ब्र. शीतलप्रसादजी की है, जो अपने आप में महत्त्वपूर्ण हैं।
'चौदह गुणस्थान' के इस विभाग को सम्पादित करने का महती कार्य प्रकाशन विभाग के मंत्री श्री ब्र. यशपाल जैन ने किया है। आशा है पाठकगण सुरुचिपूर्वक चौदह गुणस्थानों का मर्म समझ सकेंगे। ___ पुस्तक की विषय वस्तु नाम से ही ज्ञात हो जाती है। इसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में ब्र. यशपालजी द्वारा लिखित सम्पादकीय मनोगत पढ़कर पाठक विशेष जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
न्यानसमुच्चयसार के इस गुणस्थान विभाग में श्री जिन तारण-तरण स्वामी ने चौदह गुणस्थानों की विस्तृत विवेचना की है। पाठक उनके भावों को तो पूर्णरूप से हृदयंगम कर सकेंगे साथ ही ब्र. शीतलप्रसादजी का दृष्टिकोण भी ज्ञानार्जन में सहायक होगा। श्री जिन तारण-तरण स्वामी का संक्षिप्त परिचय पण्डित फूलचन्दजी सिद्धान्त शास्त्री द्वारा लिखा गया है जो पाठकों के लाभार्थ दृष्टव्य हैं।
कृति का सम्पादन करने हेतु ट्रस्ट ब्र. यशपालजी का हृदय से आभारी है। पाठकों तक अल्पमूल्य में कृति पहुँचाने हेतु जिन महानुभावों ने कीमत कम करने हेतु आर्थिक सहयोग दिया है ट्रस्ट उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है।
सदा की भाँति पुस्तक का आवरण व प्रकाशन सहयोग श्री अखिल बंसल द्वारा प्राप्त हुआ है तथा कम्पोजिंग कार्य श्री कैलाशचन्दजी शर्मा द्वारा किया गया है, अतः दोनों महानुभाव धन्यवाद के पात्र हैं। आप सभी इस महत्वपूर्ण कृति से लाभान्वित हों, यही भावना है।
-डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल महामंत्री - पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर
मुद्रक: प्रिन्ट 'ओ' लैण्ड बाईस गोदाम, जयपुर
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