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२६. बिना नैतिक और धार्मिक जीवन के आध्यात्मिक साधना
संभव नहीं है।
२७. 'अपनी मदद आप करो' यही महासिद्धान्त है । २८. वाणी विचारों की वाहक है ।
२६. अन्दर में पात्रता हो तो भाषा कोई समस्या नहीं है ।
३०. प्रत्येक सिद्धान्त तभी मान्य होता है, जब वह प्रयोगों में खरा उतरे ।
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३१. चाह आज तक किसी की भी पूरी नहीं हुई ।
३२. रुचि की प्रतिकूलता में सद्भाग्य भी दुर्भाग्यवत् फलते हैं। ३३. गलत प्रस्तुतिकरण सत्य बात को भी विकृत कर देता है । ३४. समझ अन्दर से आती है, बाहर से नहीं ।
३५. निजत्व बिना सर्वस्व समर्पण नहीं होता। ३६. वियोग होना संयोगों का सहज स्वभाव है ।
(घ)