________________
बारहभावना : एक अनुशीलन
सत्यार्थ है बस बात यह कुछ भी कहो व्यवहार में। संयोग हैं सर्वत्र पर साथी नहीं संसार में। संयोग की आराधना संसार का आधार है।
एकत्व की आराधना आराधना का सार है॥३॥ व्यवहार में कुछ भी क्यों न कहा जाय, पर सत्यार्थ बात तो यही है। संसार में संयोग तो सर्वत्र पाये जाते हैं, पर सगा साथी कोई नहीं मिलता। संयोगों की आराधना - चाह, महिमा ही संसार का कारण है, आधार है; और निज एकत्व की आराधना ही आराधना का सार है।
एकत्व ही शिव सत्य है सौन्दर्य है एकत्व में। स्वाधीनता सुख शान्ति का आवास है एकत्व में॥ एकत्व को पहिचानना ही भावना का सार है।
एकत्व की आराधना आराधना का सार है॥४॥ एकत्व ही सत्य है, एकत्व ही सुन्दर है और एकत्व ही कल्याणकारी है; सुख, शान्ति और स्वाधीनता एकत्व के आश्रय से ही प्रकट होती है; क्योंकि इनका आवास एकत्व में ही है। एकत्वभावना का सार तो एकत्व को पहिचानने में ही है; और एकत्व की आराधना ही आराधना का सार है।
-
प्रशंसा और निन्दा प्रशंसा मानवस्वभाव की एक ऐसी कमजोरी है कि जिससे बड़े-बड़े ज्ञानी भी नहीं बच पाते हैं । निन्दा की आँच भी जिसे पिघला नहीं पाती, प्रशंसा का ठंडक उसे छार-छार कर देती है।
- आप कुछ भी कहो, पृष्ठ ६८