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प्रकाशकीय
आचार्य कुन्दकुन्दकृत पंचपरमागमों में 'अष्टपाहुड़' एक प्रमुख ग्रंथ है।
यह अष्टपाहुड ग्रंथ पांच सौ दो गाथाओं में निबद्ध तथा आठ पाहुड़ों में विभक्त है। ये पाहुड़ हैं - दर्शन पाहुड़, सूत्र पाहुड़, चारित्र पाहुड़, बोध पाहुड़, भाव पाहुड़, मोक्ष पाहुड़, लिंग पाहुड़ और शील पाहुड़।
आचार्य कुन्दकुन्द और उनके व्यक्तित्व को इस युग में जन-जन तक पहुँचाने में सर्वाधिक योगदान पूज्य कानजीस्वामी का रहा है। स्वामीजी के महाप्रयाण के पश्चात् डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल के द्वारा इस महान कार्य को पूरी शक्ति और निष्ठा से आगे बढाया जा रहा है । आज पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के माध्यम से आचार्य कुन्दकुन्द प्रणीत ग्रंथों का सर्वाधिक प्रकाशन कर उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है।
डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल द्वारा रचित पद्यानुवादों में समयसार पद्यानुवाद,