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आत्मा ही परमात्मा है
__ २६ जून, शुक्रवार को भाई बलभद्रजी हमें कार द्वारा शिकागो ले गये। २६ जून को ज्योतेन्द्रभाई के घर पर ही प्रवचन व चर्चा रखे गये । २७ जून शनिवार को कॉलेज के एक हाल में प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये। २८ जून परिवार को निरंजन शाह के घर पर प्रातः ९ बजे से ११ बजे तक कार्यक्रम हुआ । ___ वहाँ के आत्मार्थी मुमुक्षु भाईयों के अनुरोध पर हम शिकागो दुबारा गये थे । इसप्रकार ६ दिन पहले और ३ दिन ये कुल मिलाकर शिकागो में ९ दिन कार्यक्रम हुए ।
वहाँ से कार द्वारा मिलवाकी पहुँचे, जहाँ २८ जून, रविवार को ही गतवर्ष की भाँति एक हाल में प्रवचन रखा गया था । प्रवचनोपरांत चर्चा भी बहुत अच्छी रही । __ मिलवाकी से २९ जून को अटलान्टा पहुँचे । वहाँ २९ जून को अश्विनभाई के घर और ३० जून को भरतभाई शाह के घर पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये । अश्विनभाई एक प्रवचन सुनकर ही इतने प्रभावित हुए कि रातभर 'क्रमबद्धपर्याय' का स्वाध्याय करते रहे व दूसरे दिन उन्होंने हमसे उनके सम्बन्ध में अनेक प्रश्न भी किये ।। __ एटलान्टा से न्यू-ओरलेन्स गये, जहाँ हरख दोधिया के घर ठहरे । यहाँ १ जुलाई, १९८७ को विश्वविद्यालय के हाल में २00 से अधिक लोगों की उपस्थिति में अहिंसा पर मार्मिक प्रवचन हुआ । इस प्रवचन में अनेक हिन्दूभाई भी आये थे, क्योंकि इसमें हमारे साथ स्वामी नारायण सम्प्रदाय के संत आत्मस्वरूपजी एवं उनके साथियों के प्रवचन भी आयोजित थे । २ जुलाई को डॉ. जगदीश बंसल एवं ३ जुलाई के प्रातः सुरेखाबैन के यहाँ प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम हुए । __ ३ जुलाई, १९८७ को ही ह्यूस्टन पहुँचे, जहाँ जैन सोसाइटी के अध्यक्ष लक्ष्मीचन्दजी माहेश्वरी के घर पर ठहरे एवं हिन्दू मन्दिर के हाल में शाम को प्रवचन हुआ ।