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सुखी होने का सच्चा उपाय
भाई, दुःख दूर करने का यह सही इलाज नहीं है । हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए । समस्त सांसारिक दुःखों को दूर करने के इलाज का नाम ही जैनधर्म है, मोक्षमार्ग है तथा वीतरागी परमात्मा और उनके मार्गानुसार चलनेवाले संत ज्ञानी जन ही सच्चे डॉक्टर हैं ।
सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र ही सच्चा मोक्षमार्ग है, अनादिकालीन अनंत दुःख को दूर करने का एकमात्र उपाय है । अतः हमें इन्हें समझने में पूरी शक्ति लगाना चाहिए, इन्हें प्राप्त करने के लिए प्राणपण से जुट जाना चाहिए ।
इनके स्वरूप को समझने के लिए हमें जैनदर्शन में प्रतिपादित तत्त्वव्यवस्था को समझना होगा, क्योंकि तत्त्वार्थ के श्रद्धान को ही सम्यग्दर्शन कहा गया
तत्त्वार्थ सात होते हैं - जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष।
इन सात तत्त्वों के विस्तार में जाना तो इतने अल्प समय में संभव नहीं है, पर इतना समझ लेना कि इनमें जीव प्रथम तत्त्व हैं और मोक्ष अन्तिम । जीवतत्त्व का अर्थ है ज्ञानानन्द-स्वभावी भगवान आत्मा
और मोक्षतत्त्व का अर्थ है सच्चे सुखमयी दशा । हम सभी आत्मा तो हैं ही और हम सबको सुखी भी होना ही है । तात्पर्य यह है कि जीवतत्त्व को मोक्षतत्त्व की प्राप्ति करना है । हमें सुखी होना है, हमें मोक्ष प्राप्त करना है, जीवतत्त्व को मोक्षतत्त्व प्राप्त करना है - इन सबका एक ही अर्थ है ।
जीवतत्त्व अनादि-निधन द्रव्यरूप भगवान है और मोक्षतत्त्व सादि प्रगट दशारूप भगवान है । भगवान स्वभावी आत्मा का प्रगटरूप से पर्याय में
१. मोक्षशास्त्र अध्याय १, सूत्र २ २. मोक्षशास्त्र अध्याय १. सूत्र ४