________________ परिशिष्ट - 4 सन् 1994 से 1998 तक डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल का विदेश कार्यक्रम यह तो सर्व विदित ही है कि जैनदर्शन के मर्मज्ञ विद्वान डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल सन् 1984 से प्रतिवर्ष लगातार धर्म-प्रचारार्थ विदेश जाते रहे हैं। सन् 1984 से 1991 तक की विदेश यात्रा का विवरण तो प्रतिपादित विषयवस्तु के साथ विस्तार से पुस्तक में है ही; उसके बाद 1992 एवं 1993 का विवरण पुस्तक के परिशिष्ट 1-2 व 3 में प्रकाशित है / सन् 1994 से 1997 तक का विवरण निम्नप्रकार है - * सन् 1994 में 3 जून से 24 जुलाई तक - अमरीका के डलास, लॉस एंजिल्स, वाशिंगटन डी.सी., शिकागो, मियामी, अटलांटा, फिनिक्स तथा न्यूयार्क एवं यूरोप के लन्दन (इंग्लैण्ड) नामक नगरों में उनके प्रवचनों का लाभ समाज को प्राप्त हुआ। सन् 1995 में 2 जून से 26 जुलाई तक - अमरीका के डलास, वाशिंगटन डी.सी., न्यूयार्क, वांस्टन, लॉसएंजिल्स, शिकागो, टेम्पा, ओरलेण्डो, मियामी, अटलांटा तथा यूरोप के लन्दन (इंगलैण्ड) के नगरों में आपके प्रवचन हुए। सन् 1996 में 6 जून से 30 जुलाई तक - अमरीका के वाशिंगटन डी.सी., न्यूयार्क, न्यूजर्सी, लॉसएंजिल्स, अटलांटा, मियामी, शिकागो, डिट्रोईट, डलास तथा यूरोप के एन्टवर्प (बेल्जियम) तथा लन्दन (इंगलैण्ड) नगरों में वे प्रवचनाथं गए। सन् 1997 में 30 मई से 27 जुलाई तक - अमरीका के वाशिंगटन डी.सी., लॉसएंजिल्स. सान्फ्रान्सिसको, टोरन्टो (कनाडा) लेसिंग शिकागो, न्यूयार्क तथा यूरोप के जिनेवा (स्विटजरलैण्ड) नगरों में प्रवचनार्थ गये। इस वर्ष अर्थात् 1998 में भी उनका कार्यक्रम बन गया है। इस वर्ष वे 28 मई से 30 जुलाई तक के लिए अमरीका के डलास. अटलान्टा, लॉसएंजिल्स, फिनिक्स, पिट्सवर्ग, डिट्रोयट, शिकागो, मियामी एवं वाशिंगटन डी.सी. जा रहे हैं।