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आत्मा ही है शरण
इन गाथाओं में निज भगवान आत्मा की शरण में जाने की बात कही गई है । ____ एक युवक जीवनसाथी बनाने के लिए एक युवती को देखने गया । दोनों ही अत्यन्त सुन्दर और सबप्रकार से सुयोग्य थे । एक-दूसरे को देखकर दोनों ही एक-दूसरे पर मोहित हो गये । यद्यपि दोनों ने ही एक-दूसरे को पसन्द कर लिया था, पर कुछ देर तक कोई कुछ नहीं बोला।
भारतीय युवतियाँ तो सहज संकोची होती ही हैं । अतः पहले लड़की के बोलने का तो कोई सवाल ही नहीं था, पर युवक भी उसकी सुन्दरता देखकर स्तब्ध-सा रह गया । वह उस युवती पर आवश्यकता से अधिक रीझ गया था । अतः उसके हृदय में आशंकाओं के बादल मंडराने लगे। वह सोचने लगा – यह तो बहुत ही सुन्दर है, मुझे तो यह पूर्णतः पसन्द आ गई है, पर कहीं ऐसा न हो जाये कि यह मुझे नापसन्द करदे। यदि इसने मुझे नापसन्द कर दिया तो मेरा तो जीना ही मुश्किल हो जावेगा ।
वह इस भय से आक्रांत हो गया कि कहीं यह मुझे अस्वीकार न कर दे। हीन भावना से ग्रस्त वह उससे और कोई बात न कर व्याकुल होकर यह पूछने लगा - "मैं तुम्हें पसन्द आया या नहीं ?" ।
स्वभाव से ही संकोची भारतीय ललना कुछ भी न बोल सकी तो उसकी आशंका और भी प्रबल हो उठी; अतः वह और भी अधिक दीन हो गया और अत्यन्त मायूसी से कहने लगा - "क्या मैं तुम्हें सचमुच ही पसन्द नहीं आया ?"
उसके बार-बार पूछने पर भी वह लड़की हाँ या ना तो न कह सकी, पर नीची निगाह किये हुये ही धीरे से बोली -
"क्या मैं आपको पसन्द आ गई हूँ ?"