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परिवर्धित व संशोधित • प्रथम दो संस्करण
: ८ हजार २०० (१४ अक्टूबर, १९९३ से अद्यतन) • तृतीय संस्करण
: ३ हजार (१२ मार्च, १९९८) वीतराग-विज्ञान सम्पादकीयों के रूप में : ६ हजार विदेशों में जैनधर्म के नाम से पाँच भागों में प्रकाशित
: १० हजार योग : २७ हजार २००
मूल्य : पन्द्रह रुपए मात्र
मुद्रक : जयपुर प्रिन्टर्स प्रा. लि. एम. आई. रोड, जयपुर