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धूम क्रमबद्धपर्याय की
नेमीचन्दजी खजांची के जमाई श्री राजेन्द्रकुमारजी हमारे साथ हिरोशिमा गये थे । वे धार्मिकवृत्ति के युवक हैं, रास्ते भर धार्मिक चर्चा ही करते
रहे।
द्वितीय विश्वयुद्ध में पूरी तरह विनष्ट हिरोशिमा आज जापानियों के पुरुषार्थ का प्रतीक बन गया है । अत्यल्पकाल में हिरोशिमा का जिसप्रकार पुनर्निर्माण किया गया है, उससे यह प्रतीत ही नहीं होता कि पहले कभी यहाँ प्रलय उपस्थित हुआ था । आज वह एकदम आधुनिक नगर के रूप में विकसित हो गया है ।
विनाश की याद को ताजा रखने के लिए वम विस्फोट के दुष्प्रभावों को चित्रित करनेवाली एक सुसज्जित प्रभावक प्रदर्शिनी यहाँ रखी गई है, जिसे देखकर कठोर से कठोर ह्रदय भी द्रवित हुए बिना नहीं रहता ।
इस प्रदर्शिनी में एक सुन्दरतम व्यवस्था यह है कि वहाँ प्रदर्शिनी देखने आनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को उसकी ही भाषा में प्रदर्शिनी के स्वरूप को समझाने वाला कैसेट टेपरिकार्डर सहित प्राप्त हो जाता है, जिसमें इयरफोन भी होता है । इसप्रकार प्रत्येक व्यक्ति अपनी भाषा में प्रदर्शिनी के बारे में सुनता जाता है और प्रदर्शिनी को चुपचाप देखता जाता है, न कोई शोरगुल होता है और न कोई गाईड की आवश्यकता रहती है । हजारों की भीड़ में एकदम शान्ति बनी रहती है ।
उक्त कैसेट में बड़े ही प्रभावक ढंग से समस्त जानकारी टेप की गई है, उसके सुनने से प्रदर्शिनी सम्बन्धी जानकारी तो प्राप्त होती ही है, अणुवम के खतरों का भी परिचय प्राप्त होता है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति को अहिंसा की महिमा आती है और निशस्त्रीकरण का वातावरण बनता है । ___ एक विशाल इमारत वैसी की वैसी सुरक्षित रखी गई है, जैसी कि अणुबम के दुष्प्रभाव से वह खंडित हो गई थी । उसे देखकर अनुमान लगाया जा