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जीवन-मरण और सुख-दुख
हॉल में 'आत्मा की पहचान' विषय पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम हुए ।
इसप्रकार शिकागो में कुल पाँच दिन ठहरे, जिसमें सात घण्टे के सात प्रवचन एवं लगभग दस घण्टे की तत्वचर्चा के कार्यक्रम हुए । शिकागो में आध्यात्मिक रुचि अच्छी है । यहाँ पडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष श्रीमान् सेठ पूरणचंदजी गोदीका भी पधारे थे, जो प्रत्येक प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम में उपस्थित रहते थे ।
२८ जून, १९८८ को फिनिक्स पहुंचे, जहाँ क्लब के हॉल में २८, २९ एवं ३० जून को 'कुन्दकुन्द शतक' की गाथाओं एवं 'क्रमबद्धपर्याय' पर प्रवचन हुए, मार्मिक तत्वचर्चा भी हुई । इसके अतिरिक्त 'क्रमवद्धपर्याय' पर दो प्रवचन और दो घण्टे की तत्वचर्चा किशोरभाई के घर पर भी हुई । यहाँ कुल पाँच घण्टे के प्रवचन एवं पाँच घण्टे की तत्वचर्चा हुई । सभी के वीडियो केसेट तैयार किये गये । ___ यहाँ किशोरभाई पारेख के प्रयासों से अच्छा आध्यात्मिक वातावरण है। वे व उनके साथी धार्मिक कक्षाएँ चलाते हैं, जिसमें १८ छात्र-छात्राएँ बालबोध पाठमालाओं के आधार पर अध्ययन करते हैं ।
यहाँ से किशोरभाई के साथ कार द्वारा हम १ जुलाई, १९८८ को लासएंजिल्स पहुँचे, जहाँ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आयोजित थी । लगभग एक हजार लोगों की उपस्थिति में शिकागो, टोरन्टो, वैनकुवर, सान्फ्रान्सिस्को जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों से भी अनेक लोग आये थे । वातावरण बहुत अच्छा था । बहुत ही उत्साह से सम्पूर्ण कार्य सम्पन्न हो रहे थे ।
मन्दिर भी बहुत विशाल बना है, जिसमें प्रवचन मण्डप के अतिरिक्त लायब्रेरी कक्ष, पाठशाला कक्ष एवं अतिथियों के लिए आवास की भी सुविधा है । सम्पूर्ण भवन आज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया गया