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प्रकाशकीय
(दसम् संस्करण)
सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल की अनुपम कृति 'आप कुछ भी कहो' का हिन्दी भाषा में यह दसम् संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष एवं गौरव का अनुभव हो रहा है।
इस संस्करण में एक कहानी 'एक केटली गर्म पानी' नई जोड़ी है, जो अपने आप में बेजोड़ है।
उक्त कृति के सन्दर्भ में हम प्रथम संस्करण के प्रकाशकीय का निम्नांकित अंश उद्धृत करना आवश्यक समझते हैं -
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"प्रस्तुत रचना में डॉ. भारिल्ल की एक से एक बढ़कर दस कहानियों का संकलन है । ये कहानियाँ हमारे यहाँ से ही प्रकाशित 'जैनपथ प्रदर्शक' पाक्षिक पत्र में क्रमशः प्रकाशित होती रही हैं और स्नेही पाठकों द्वारा भरपूर सराही जाती रही हैं।
इनके सम्बन्ध में हम स्वयं कुछ विशेष न लिखकर शोध-खोज की गहरी पकड़ और प्रखर समालोचना के लिए प्रख्यात जैन साहित्य के इतिहास के मर्मज्ञ विद्वान श्री रतनलालजी कटारिया, केकड़ी (राज.) के विचार प्रस्तुत कर देना ही उपयुक्त समझते हैं, जो उन्होंने हमें इन कहानियों के प्रकाशन की प्रेरणा देते हुए लिखे थे।
वे लिखते हैं - 'जैनपथ प्रदर्शक में डॉ. भारिल्ल की कहानियाँ मैंने रुचिपूर्वक पढ़ी हैं । जैसे वे जैन सिद्धान्त में पटु हैं, वैसे ही कथाशिल्प में भी निष्णात हैं। गुरूणां गुरु पण्डित गोपालदासजी बरैया भी इसीप्रकार दोनों विधाओं में कुशल थे, उनका 'सुशीला' उपन्यास जैन कथाशिल्प का सुन्दर निदर्शन है।
डॉ. साहब ने अनेक नये विचारमंथनों के साथ भरत का जो नूतन चरित्र दिया है, वह उनकी काव्यमयी प्रतिभा का चमत्कार है । कवि किसी से बंधे हुए नहीं होते। वे तो अपनी मौलिक प्रतिभा से कुछ नया ही सृजन करते हैं। वही इन कहानियों में है।
उनकी प्रतिभा और कर्मठता अद्वितीय है। वे वास्तव में रत्न हैं, जो हमें सौभाग्य से प्राप्त हुए हैं। पण्डित हुकमचन्दजी साहब (डॉ. भारिल्ल) की उक्त उद्बोधक कथाओं का अलग से एक भव्य संग्रह प्रकाशित हो तो श्रेयस्कर रहे। '
यद्यपि हम स्वयं इन कहानियों के पुस्तकाकार प्रकाशन के लिए उत्सुक थे; तथापि उनके इस पत्र ने हमारी उत्सुकता को संकल्प में बदल दिया। परिणामस्वरूप प्रस्तुत प्रकाशन आज आपके हाथ में देते हुए हम प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं।
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प्रस्तुत प्रकाशन में संकलित दस कहानियों में से 7, 8 एवं 9 – इन तीन कहानियों का एक संकलन ‘गाँठ खोल देखी नहीं' नाम से बाहुबली प्रकाशन, जयपुर द्वारा मार्च,