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आचार्य श्री 108 विशदसागर रचित एवं उन्हीं के सान्निध्य में एवं मेरी प्रेरणा से निर्विघ्न सम्पन्न होने वाले इन विधानों के समापन के उपलक्ष्य में सकल जैन समाज, शकरपुर, दिल्ली द्वारा इस ग्रन्थ का प्रकाशन कराया जा रहा है। सभी स्वाध्याय प्रेमी बन्धु इस कृति से लाभन्वित हों, इसी भावना के साथ प. पू. आचार्य गुरुवर 108 श्री विशदसागर जी महाराज के श्री चरणों में त्रिभक्ति पूर्वक नमोस्तु एवं ब्रह्मचारी सुरेन्द्र वर्णी जी को शुभाशीष ।
दिनांक 17 नवम्बर 2013
-मुनि विशालसागर (संघस्थ आचार्य श्री विशदसागर जी महाराज)
जैन मन्दिर शकरपुर, नई दिल्ली