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मैं इन विषय-साधनों से हट जाऊँ, लेकिन यह सब एक ऐसा वातावरण है कि बहुत - बहुत चाहने पर भी नहीं हट पाता और फिर थोड़ा बहुत ज्ञान भी न हो, तब तो वह इसमें आसक्ति से लगता है । तो इस संसार के इस जुवे वाले, हार-जीतवाले अड्डे से हटने के लिए बहुत बड़े ज्ञान की आवश्यकता है। इसलिये चारों अनुयोगों के शास्त्रों का अच्छे प्रकार से स्वाध्याय कर सम्यग्ज्ञान प्राप्त करो और चरणानुयोग के अनुसार अपने आचरण को बनाओ ।
आचार्य श्री विशद सागर जी महाराज ने ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हुये दोहे के रूप में लिखा है
ज्ञान सहित सब सार है, बिना ज्ञान के खार | ज्ञान से ही इस जीव का, होय स्वयं उद्धार || ज्ञान शान है जीव की, ज्ञान बिना क्या शान | ज्ञान से होता जीव का, इस जग से निर्वाण ।। ज्ञान जीव की जान है, ज्ञान बिना बे जान । नर होकर भी जीव का जीवन पशु समान ।। ज्ञान से ध्यान होता भला, ध्यान से कर्म नशाय । कर्म नाश कर जीव यह, शिव सुख को भी पाय ।। ज्ञानवान् नर जगत में, सब की हरता पीर । ज्ञान सुधा रस श्रवण से हो जाते हैं धीर ।। ज्ञान की शक्ति अगम है, काहे होत अधीर । ज्ञान बिना भव भ्रमण है, ज्ञान से भव का तीर ।। ज्ञान भानु के तेज से, अन्धकार नश जाय । स्वर्ग सुखों की बात क्या, मुक्ति को भी पाय ।। ज्ञान बिना किरिया सभी, थोथी ही तू जान । अंक बिना सौ शून्य भी मूल्य हीन पहचान ||
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