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वही लड़के हैं, जिन्होंने कल हमको बाजार में छेड़ा था । जज साहब तो दुविधा में पड़ गए, दोनों ही पक्ष आत्मविश्वास के साथ अपनी बात को कह रहे थे कि हम सच बोल रहे हैं और दोनो के हाव-भाव से भी प्रकट हो रहा था कि ये दोनों सच बोल रहे हैं । जज साहब ने कहा कि आज आपका समय हो गया है कल आपको पुनः दुबारा यहाँ पर आना है, परन्तु लड़की से इशारा करते हुए कहते हैं कि आपको जिस दिन इन लड़कों ने छेड़ा था, उस दिन तुमने जो अपनी वेशभूषा बनाई थी, वही बनाकर के तुमको यहाँ कल आना है। दूसरे दिन जब लड़की उसी वेशभूषा में पहुँची तो अदालत के सारे लोग उसको टकटकी लगाकर देखने लगे । जज साहब भी जो उसको कल बेटी कह रहे थे, वह भी कामना की दृष्टि से देखने लगे । जज साहब ने लड़कों से पूछा कि क्यों भाई आज तुम सच बोलना क्या तुमने इस लड़की को छेड़ा था तो चारों लड़के एक साथ कहते हैं कि हाँ हमने इस लड़की को छड़ा है, तब जज साहब कहते हैं कि तुमने कल झूठ क्यों बोला था। कि हमने इस लड़की को छेड़ने की बात तो अलग है, इसे हमने देखा भी नहीं। तो वह लड़के कहते हैं कि जज साहब, हमने जो कल कहा था वह भी सच था, आज जो कह रहे हैं वह भी सच है । जज साहब, आप इस लड़की को देख रहे होंगे क्या जिस प्रकार यह कल थी वैसी आज है, नहीं है । हमने इस लड़की को नहीं छेड़ा था, हमने तो इसके वस्त्रों को छेड़ा था । इसने अपनी वेशभूषा ही इस प्रकार बना रखी है कि हमारी जगह कोई दूसरा होता तो वह भी अपने मन में ऐसे ही भाव उत्पन्न कर लेता ।
तो यह बात बिल्कुल सच है कि लड़के, लड़कियों को नहीं छेड़ते, वह तो उनकी वेशभूषा को छेड़ते हैं । आज पाप अत्याचार बढ़ रहा है, उसका मुख्य कारण हमारा रहन-सहन, पाश्चात्य संस्कृति
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