________________
ने उसे विवाह के योग्य देख एक धर्मनिष्ठ लड़की के साथ उसका विवाह करा दिया, लेकिन दुर्भाग्य से विवाह के कुछ दिनों बाद सेठ के लड़के का देहावसान हो गया और सेठ जी उसके वियोग का दुःख भूले नहीं थे कि उसके पहले ही सेठानी भी स्वर्ग लोक को चली गई । अब घर में सेठ जी और बहूरानी दो ही सदस्य रह गये । सेठ जी ने सोचा, बहू को अपने पति का वियोग बार-बार याद न आवे इसलिये भोजन - श्रृंगारादि की भरपूर सामग्री घर में लाकर रख दी | बहू भी हमेशा अच्छे-अच्छे मिष्ठ और तले हुये गरिष्ठ भोजन बनाकर खाने लगी। जिससे उसका मन वासना से ग्रसित होने लगा और वह वासना इतनी प्रबल हो गयी कि उसने एक दिन निर्लज्ज होकर सेठजी (ससुर) से कह दिया, पिताजी! अब मुझे अकेलापन अच्छा नहीं लगता ( अर्थात् मेरी दूसरी शादी करवा दो, मैं अकेली नहीं रह सकती) सेठ जी यह सुनते ही अवाक् रह गये। वे गहन चिन्ता में डूब गये । अब उन्हें खाना-पीना कुछ नहीं रुचने लगा । वे मात्र एक ही बात सोचते कि बहू के मन में ऐसा विचार क्यों आया और इसका निवारण कैसे हो? बहुत विचार करने के पश्चात उन्हें समझ में आया कि बहू के मन में विकार आने का कारण गरिष्ठ भोजन और श्रृंगार की अधिकता है। इसका निवारण करने के लिए सेठ ने भोजन के समय बहू से कहा बेटी! मेरा आज उपवास है । बहू का एक नियम था कि घर में बड़ों को भोजन कराये बिना भोजन नहीं करना, इसलिये सेठ जी के उपवास करने से बहू का भी उपवास निश्चित हो गया। पूरे दिन खाने-पीने वाली बहू ने बड़ी मुश्किल से अपना दिन-रात व्यतीत किया। दूसरे दिन सुबह सेठ जी से भोजन के लिये कहा तो सेठ जी ने कहा बेटी! मेरा तो आज भी उपवास है, तुम भोजन कर ला । बहू अपने नियम में दृढ थी ।
641
-