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परन्तु एक बात बता देना चाहता हूँ कि आज से ठीक एक महीने बाद तुम्हारी मृत्यु होने वाली हैं ।
संत के इन वचनों को सुनकर उस आदमी के पैरों के नीचे से धरती खिसक गई । उसका शरीर थर-थर काँपने लगा। जैसे-तैसे वह घर पहुँचा। तत्काल उसने घर के सभी सदस्यों को बुलाया और आँखों से आँसू बहाते हुए संत की भविष्यवाणी बता दी । सुनकर घर के लोग स्तब्ध रह गए और यह सोचकर रोने लगे कि इतने महान संत की बात झूठी तो नहीं हो सकती |
उस जिज्ञासु को मृत्यु के आगमन का इतना गहरा आघात लगा कि वह बीमार हो गया। एक-एक दिन गिनने लगा। उसके सम्बन्धी, मित्र और मिलने वाले आकर उसे सांत्वना देने लगे, किन्तु उसे चैन कहाँ ! ज्यों-ज्यों दिन बीत रहे थे, उसकी वेदना बढ़ती जा रही थी ।
आखिर वह दिन आ ही गया। लोगों की भीड़ जमा हो गई। सब हैरान और दुःखी थे । इतने में स्वामी रामदास आ गए। भीड़ को देखकर उन्होंने पूछा- वत्स ! यह सब क्या हो रहा है?
जिज्ञासु ने हताश होकर कहा - महात्मन् ! क्या आप भूल गए ? आपने कहा था, एक महीने बाद मेरी मौत होने वाली है । आज उसका आखिरी दिन है और वह घड़ी अब आने ही वाली है ।
यह सुनकर संत रामदास मुस्कराये और मधुर स्वर में उन्होंने पूछा- पहले यह बताओं कि इस महीने में तुम्हारे मन कोई विकार पैदा हुआ ? आश्चर्यचकित होकर जिज्ञासु ने कहा - स्वामी जी ! मेरे सामने तो हर घड़ी मौत खड़ी थी, फिर विकार कहाँ से आता?
संत रामदास ने हँसकर कहा अरे पगले ! तेरी मौत नहीं आने वाली । मैंने तो तुम्हारे सवाल का जवाब दिया था। जैसे तुम्हारे
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