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सती सीता का देखिये | कितने दिनों तक रावण के चंगुल में रहीं, रावण ने सभी तरह क प्रलोभन सीता के सामन रखे, अपनी तीनखंड की महान विभूति और विद्याधरां के प्रभाव से उसे प्रभावित करना चाहा, उसे अपना बनाना चाहा तथा बहूरूपणी विद्या सिद्ध करके अनेक भयानक रूप दिखलाये । मन्दोदरी स्वयं सीता को समझाने आयी और रावण की महान शक्ति का वर्णन कर उसे अपनाने के लिये कहा। तब सीता ने उत्तर दिया कि तुम स्वयं पतिव्रता नारी होते हुये भी मुझसे इस प्रकार क वचन कह रही हो? तुम्हें ये वचन शोभा नहीं देते ।
राजसुखों में पली हुई राजुल का उसके माता-पिता ने नेमिनाथ के विरागी हो जाने पर अन्य राजकुमारों के साथ विवाह करने के लिये झुकाना चाहा, किन्तु राजुल अपन व्रत से चलायमान नहीं हुई, और उसने अपना सारा यौवन तपश्चर्या में व्यतीत किया |
ब्राह्मी और सुन्दरी आदिनाथ की दा पुत्रियाँ थीं, जिन्होंने पिता का गौरव रखने के लिय आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ले कर अपना कल्याण किया।
अनंतमती ने आठ वर्ष की अवस्था में माता-पिता के साथ मुनिराज के पास ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया, उस समय वह यह भी नहीं जानती थी कि ब्रह्मचर्य व्रत क्या है? माता-पिता ने अष्टान्हिका पर्व में आठ दिन का व्रत लिया, तब माता-पिता को व्रत लेते देखकर अनन्तमती बोली-महाराज! मुझे भी व्रत दे दो। कोई सीमा नहीं बताई व्रत की| जब वह यौवनावस्था को प्राप्त हुई और माता-पिता ने शादी करने के लिये कहा, तब वह कहती है कि आपका याद नहीं, मैंने मुनिराज के सानिध्य में ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। अब मैं शादी
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