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भी बनोगे या तुम दिल्ली का सुप्रीम कोर्ट खटखटाना प्रारम्भ कर दोगे, एक बिल्ली के कारण स | महाराज ने बात तो मान ली कि चलो ठीक है, चूहे की हरकतों स बचने के लिये उन्होंने बिल्ली पाल ली। अब बिल्ली के लिये खाने को कहाँ से दिया जाये, क्योंकि महाराज के पास तो कुछ भी नहीं था, वा तो आत्म ध्यान करते थे। एक विकल्प जागृत हो गया कि बिल्ली कहीं भूखी न मर जाये, उन्होंने श्रावकों से कहा कि इस बिल्ली के लिये कुछ दूध द जाया करो | श्रावकों ने कुछ दिन तो दूध दिया, पर वे कब तक देते, कुछ श्रावकों ने कहा महाराज इस बिल्ली को दूध की व्यवस्था के लिये एक गाय बाँध लो और उस गाय का दूध बिल्ली को पिलाते रहना। अब गाय के लिये चारा चाहिये, मुनि महाराज तो चारा काटने के लिये जायेंगे नहीं, श्रावकों से कहा-भईया थोड़ा बहुत चारा गाय के लिये दे जाया करो, कुछ समय ता वे चारा पहुँचात रहे, लेकिन कब तक पहँचाते? श्रावक बोले-महाराज एक सेवक यहाँ पर रख देते हैं और ये सेवक चारा आदि की सब कुछ व्यवस्था कर देगा। कुछ समय व्यतीत हुआ, उस सवक के लिय पैसा कहाँ से दिया जाये? कछ समय तक तो श्रावकों ने पैस की व्यवस्था की परन्त कब तक? अब तो श्रावकों की हिम्मत जबाव दे गई, बोले-महाराज अब तो हमारी बस की नहीं है, आप एक काम करो, शादी-विवाह कर लो, दुकानदारी डाल लो और पैसा कमाआ, और फिर अपनी व्यवस्था खुद ही करक साधना करो। महाराज ने श्रावकों की बात मान ली, शादी कर ली गृहस्थी जमा ली, एक छोटी-सी दुकान खोल ली । एक दिन महाराज की गाय दूसरे के खेत में चली गई, उस खेत के मालिक ने महाराज के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करा दी और महाराज के लिये जेल में डलवा दिया । एक बिल्ली दिल्ली के सुप्रीम
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