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________________ शराब को पीने वाले व्यक्ति का नशा तो एक-दो घंटे मे उतर जायेगा या ज्यादा-से-ज्यादा एक-दो दिन में उतर जायेगा, लेकिन मोहरूपी मदिरा का नशा तो इस संसार में बहुत समय तक चढ़ा रहता है, और मोह की मदिरा के नशे के कारण से व्यक्ति बहुत समय तक इस संसार में भटकता है। इसलिये संसार में यदि कुछ खतरनाक चीज है, कोई भ्रमण कराने वाला है, तो वो तुम्हारा मोह है । मोह के कारण ही हम इस परिग्रह को अपना मानते हैं और इसी में राग-द्वेष करते रहते हैं । परिग्रह को छोड़ देने वाले मुनिराज ही आकिंचन्य धर्म के धारी कहलाते हैं । एक लंगोटी का धारण करना भी मोक्ष मार्ग को रोक दिया करता है । एक मुनिराज थे, कुछ श्रावक उनके पास पहुँचे बोले- महाराज! आप ऐसे अच्छे नहीं लगते, एक लंगोटी पहन लो और श्रावकों ने महाराज को एक लंगोटी दे दी। हुआ यूं कि वो श्रावकगण तो मुनि महाराज को लंगोटी देकर चले गये और उनके जाने के बाद एक चूहा कहीं से आया और लंगोटी को कतर गया । अगले दिन श्रावक आये और दूसरी लंगोटी दे गये । इसे भी चूहे ने कतर दिया। उसके बाद तीसरी और चौथी लंगोटी भी श्रावकों ने दी, जिसे चूहे ने कतर दिया । दान की भी कोई हद होती है, रोजाना लंगोटी को चूहा खा जाये, श्रावकों ने कहा कि महाराज एक बिल्ली पाल लें ताकि चूहा पास में न आने पाये । आप बिल्ली कभी मत पालना, बिल्ली बड़ी खतरनाक होती है, जो बिल्ली का पाल लेता है, उसके लिये दिल्ली जान पड़ता है। दिल्ली का मतलब जानते हो आप - संसद में पहुँच जाओगे, वहाँ के मंत्रीमंडल में पहुँच जाओगे, मंत्री नहीं प्रधान मंत्री तक तुम्हारी आकांक्षा जागृत हो जायेगी । एक बिल्ली पालने से आप प्रधान मंत्री 589
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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